रामचरित मानस

210 Part

50 times read

1 Liked

... जौं प्रभु होइ प्रसन्न बर देहू। मो पर करहु कृपा अरु नेहू॥ मन भावत बर मागउँ स्वामी। तुम्ह उदार उर अंतरजामी॥4॥ भावार्थ:-हे प्रभो! यदि आप प्रसन्न होकर मुझे वर देते ...

Chapter

×